Narendra Modi Biography: चाय बेचने से PM की कुर्सी तक का सफ़र
नरेन्द्र मोदी कौन है उनकी कहानी क्या है?
नरेंद्र मोदी को चाय वाला क्यों कहते हैं?
नरेन्द्र मोदी के माता का नाम हीराबेन और पिता का नाम दामोदरदास मोदी था। नरेन्द्र मोदी ने अपने जीवन की मामूली सी शुरुआत की थी। छह भाइयों के बीच तीसरे बच्चे, मोदी ने अपने शुरुआती सालों में अपने पिता के साथ और अपने भाई के साथ चाय बेचने में मदद की। उन्होंने गुजरात में एक छोटे से शहर, वाडनगर में अपनी पढ़ाई पूरी की। यहां तक की उनके स्कूली शिक्षा के वर्षों में और तुरंत उसके बाद उन्होंने भारत-पाक युद्ध के दौरान सैनिकों को चाय बेची।
एक महान वक्ता के रूप में मोदी की पहली झलक उनके स्कूली शिक्षा के वर्षों में देखी गई। हाल ही के इंटरव्यू में, उनके स्कूल के शिक्षक ने यह बताया है कि वह औसत छात्र थे, वह हमेशा एक ज़बरदस्त भाषण देने वाले व्यक्ति थे जो हर किसी सुनने वाले को अपनी और आकर्षित कर लेते थे।
नरेन्द्र मोदी बाल्यकाल से ही आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ) से जुड़े | और जब युवावस्था में आये तब भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े |मात्र 13 वर्ष की आयु में नरेन्द्र की सगाई जसोदा बेन के साथ की गई | और 17 वर्ष की आयु में विवाह हो गया | नरेन्द्र मोदी का विवाह जरुर हुआ लेकिन वे जीवन पर्यंत विवाह के पक्ष में नही थे | नरेन्द्र मोदी का विवाह जरुर हुआ ,लेकिन दोनों कभी साथ में नही रहे |साडी के कुछ वर्षो के बाद मोदी ने गृह त्याग दिया | और पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अर्पण कर दिया|
1974 में नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन चलाया | आरएसएस का प्रचारक रहते हुए 1980 में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनितिक विज्ञान से एमएससी की degree को हाशिल किया |
1971 में, भारत-पाक युद्ध के ठीक बाद, गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम में कर्मचारी कैंटीन में काम करते समय मोदी एक प्रचारक के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) Rashtriya Swayamsevak Sangh(RSS) में शामिल हो गए। वे भाषण देने में निपुण थे। इस समय उन्होंने खुद को राजनीति में समर्पित करने का एक सचेत निर्णय लिया।
आरएसएस में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए और 1977 के दौरान आपातकालीन आपात आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी से उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारियां दी गईं। धीरे-धीरे एक-एक कदम बढ़ते हुए, उन्हें जल्द ही गुजरात में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का प्रभारी बनाया गया।
उनकी क्षमता को देखते हुए और एहसास करते हुए कि वह क्या हो सकते हैं, आरएसएस ने उन्हें 1985 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल किया। हर कदम पर उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी उन्हें सौंपी गई, उसमे नरेंद्र मोदी ने अपनी ताकत साबित कर दी और जल्द ही उन्होंने पार्टी को अपरिहार्य बना दिया। 1988 में, वह भाजपा के गुजरात विंग के आयोजन सचिव बने, और 1995 के राज्य चुनावों में पार्टी को जीत दिला दी। इसके बाद उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के रूप में नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया।
नरेंद्र मोदी को चाय वाला क्यों कहते हैं?
Prime Minister Narendra Modi Biography
संघर्षमय जीवन :-
देश के आजाद होने के लगभग 3 वर्ष के बाद 17 सितंबर 1950 को जन्मे नरेन्द्र मोदी की जब आंखे खुली तब उन्होंने अपने आप को 12 फिट चौड़े और 40 फिट लम्बे घर में पाया |आर्थिक स्थिति से कमजोर होने के कारण मात्र 6 वर्ष की उम्र में गुजरात के वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे. जिस उम्र में हम और आप शायद स्कूल में दाखिला लेने वाले होते हैं| मोदी के पिता जी चाय बनाते और स्वयं नरेन्द्र मोदी (जो इस समय स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री है ) ट्रेन का इन्तजार करते और ट्रेन के आने पर डिब्बो में जाकर चाय डिस्ट्रीब्यूट करते | यही नही पैसो की तंगी के चलते मोहल्ले के नेताओ की ओर से दिए गये बैज बांटते और नारे लगाने का भी काम करते और उससे जो पैसे मिलते उससे घर का पेट पालने में मदद करते थे !नरेन्द्र मोदी के माता का नाम हीराबेन और पिता का नाम दामोदरदास मोदी था। नरेन्द्र मोदी ने अपने जीवन की मामूली सी शुरुआत की थी। छह भाइयों के बीच तीसरे बच्चे, मोदी ने अपने शुरुआती सालों में अपने पिता के साथ और अपने भाई के साथ चाय बेचने में मदद की। उन्होंने गुजरात में एक छोटे से शहर, वाडनगर में अपनी पढ़ाई पूरी की। यहां तक की उनके स्कूली शिक्षा के वर्षों में और तुरंत उसके बाद उन्होंने भारत-पाक युद्ध के दौरान सैनिकों को चाय बेची।
एक महान वक्ता के रूप में मोदी की पहली झलक उनके स्कूली शिक्षा के वर्षों में देखी गई। हाल ही के इंटरव्यू में, उनके स्कूल के शिक्षक ने यह बताया है कि वह औसत छात्र थे, वह हमेशा एक ज़बरदस्त भाषण देने वाले व्यक्ति थे जो हर किसी सुनने वाले को अपनी और आकर्षित कर लेते थे।
नरेन्द्र मोदी बाल्यकाल से ही आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ) से जुड़े | और जब युवावस्था में आये तब भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े |मात्र 13 वर्ष की आयु में नरेन्द्र की सगाई जसोदा बेन के साथ की गई | और 17 वर्ष की आयु में विवाह हो गया | नरेन्द्र मोदी का विवाह जरुर हुआ लेकिन वे जीवन पर्यंत विवाह के पक्ष में नही थे | नरेन्द्र मोदी का विवाह जरुर हुआ ,लेकिन दोनों कभी साथ में नही रहे |साडी के कुछ वर्षो के बाद मोदी ने गृह त्याग दिया | और पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अर्पण कर दिया|
1974 में नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन चलाया | आरएसएस का प्रचारक रहते हुए 1980 में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनितिक विज्ञान से एमएससी की degree को हाशिल किया |
1971 में, भारत-पाक युद्ध के ठीक बाद, गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम में कर्मचारी कैंटीन में काम करते समय मोदी एक प्रचारक के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) Rashtriya Swayamsevak Sangh(RSS) में शामिल हो गए। वे भाषण देने में निपुण थे। इस समय उन्होंने खुद को राजनीति में समर्पित करने का एक सचेत निर्णय लिया।
आरएसएस में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए और 1977 के दौरान आपातकालीन आपात आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी से उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारियां दी गईं। धीरे-धीरे एक-एक कदम बढ़ते हुए, उन्हें जल्द ही गुजरात में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का प्रभारी बनाया गया।
उनकी क्षमता को देखते हुए और एहसास करते हुए कि वह क्या हो सकते हैं, आरएसएस ने उन्हें 1985 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल किया। हर कदम पर उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी उन्हें सौंपी गई, उसमे नरेंद्र मोदी ने अपनी ताकत साबित कर दी और जल्द ही उन्होंने पार्टी को अपरिहार्य बना दिया। 1988 में, वह भाजपा के गुजरात विंग के आयोजन सचिव बने, और 1995 के राज्य चुनावों में पार्टी को जीत दिला दी। इसके बाद उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के रूप में नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में प्रवेश और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा :-
सन 1887 में नरेन्द्र ने बीजेपी में प्रवेश किया | महज एक वर्ष के बीतते ही उनके कार्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए उन्हें प्रदेश मंत्री मनोनीत किया गया |1990 में केंद्र में मिली जुली सर्कार बनी ,लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिनों तक नही चला |1995 में भाजपा ने अपने ही बल पर दो तिहाई मत पाया और सरकार बनायीं |और मोदी जी को रास्ट्रीय मंत्री बनाया गया |
इसी बीच मोदी जी को अडवाणी जी ने 2 काम सौंपे – पहला तो ये सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा दूसरा भी इसी तरह कन्याकुमारी से कश्मीर तक रथ यात्रा | दोनों ही कर्तव्यो को मोदी जी ने बखूबी ढंग से निभाया और पार्टी के विश्वास पात्र बने | इसी बीच शंकर सिंह वाघेला को हराकर केशुभाई पटेल CM बनाये गये | और नरेन्द्र मोदी को महासचिव बनाया गया | 2001 में बीजेपी पार्टी ने नरेन्द्र मोदी को केशुभाई पटेल का उत्तराधिकारी बनया |2001 में नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने | और उन्होंने गुजरात की विधान सभा की 122 में से 122 सीटो पर कब्ज़ा किया |2001 से लेकर 2014 तक नरेन्द्र मोदी लगातार जीतते रहे और गुजरात के लगातार 3 बार मुख्यमंत्री बने | या आप कह सकते हो जीत की हैट्रिक लगाई |
मुख्यमंत्री से प्रधानमन्त्री की ओर :-
लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी को प्रधान मंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया | बीजेपी में उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में घूम घूम कर अनेको चुनावी रैलियां की ,3 डी सभाए की ,चाय पर चर्चा की |इस प्रकार से कुल मिलकर 5827 कार्यक्रम नरेन्द्र मोदी ने किये | नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ,लालकृष्ण अडवाणी जैसे दिग्गज नेताओ के नेतृत्व में बीजेपी में 2014 चुनाव में अभूतपूर्व सफलता का परचम लहराया | और नरेन्द्र मोदी भारत के 15 वे प्रधानमंत्री बने |NDA ने 336 सीटो पर कब्ज़ा जमाया और कांग्रेस (जो पिछले कई सालो से शासन में थी) को महज 44 सीटो से संतोष करना पड़ा |
कुछ विवाद और आलोचनाये :-
गोधरा कांड – 27 फ़रवरी 2002 को कुछ कारसेवक अयोध्या से गुजरात लौट रहे थे और गोधरा स्टेशन पर एक हिंसक भीड़ ने समूची ट्रेन में आग लगा दी जिससे 59 कारसेवक मारे गये |इसके बाद गुजरात में हिन्दू -मुस्लिम दंगे हुए जिसमे 1180 लोग मारे गये जिसमे अधिकांश मुस्लिम थे | विपक्षी दलों ने इस्तीफे की मांग की जिसके बाद नरेन्द्र मोदी ने अपना इस्तीफ़ा राज्यपाल को सौंप दिया |कांग्रेस संसद एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी ने अप्रैल 2009 उच्चतम न्यायलय से न्याय की मांग करते हुए ये जानना चाहा कहीं इसमें नरेन्द्र मोदी को गुजरात दंगो में नही |दिसम्बर 2010 में उच्चतम न्यायलय ने नरेन्द्र मोदी को निर्दोष बताया |
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